केदार नाथ के महत्व, जो आप को जरूर जानना चाहिए।।..



भारत में भगवान शिव के  १२ ज्योतिर्लिंग में केदारनाथ धाम का बहोत महत्व है. लाख की संख्या में श्रद्धालु, बाबा के दर्शन को पहुंचते है. दुर्गम रस्ते ,ठन्डे बर्फीले वातावरण, सुन्दर घाटियां और मन को लुभाने वाले ऊँचे सुन्दर पहाड़ो से होते हुए मन्दाकिनी के किनारे के साथ भक्त बाबा के जयकारे लगाते हुए खुद को ऊर्जा से भरकर  दर्शन को बढ़ते जाते है. 
साल भर मोक्ष प्राप्त कराने वाली इस यात्रा का बेशब्री से इन्तजार करते है भारत के कोने कोने से  भक्त यहां दर्शन को पहुंचते है.


हज़ारो साल पहले मंदिर का निर्माण पांडवो के द्वारा किया गया था पर वक्त  के साथ मंदिर  लुप्त हो गया  बाद में केदार ज्योतिर्लिंग की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. ४०० साल तक मंदिर बर्फ में दबा रहा.
केदारनाथ धाम मन्दाकिनी नदी के किनारे स्थापित है, केदार धाम ३५६२ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
केदार नाथ तीन तरफ से ऊँचे ऊँचे बर्फीले पहाड़ो से घिरा तीर्थ स्थान है यह ६ महीने से भी ज्यादा समय बर्फ ही बर्फ रहती है बहां पांच नदियों का संगम भी है मन्दाकिनी , मधुगंगा , छीर गंगा , सरस्वती और स्वर्णगौरी लेकिन अब सिर्फ अलकनंदा की सहायक नदी मन्दाकिनी ही साक्षात् मौजूद है.


दीपावली के दूसरे दिन (पड़वा) को शीत ऋतू में मंदिर के कपाट ससम्मान बंद कर दिए जाते है और भगवन के विग्रह एवं दंडी को ६ माह के लिए पहाड़ से नीचे ऊखीमठ  में पालकी यात्रा द्वारा ले जाते है. उस बक्त सैकड़ो  की संख्या में भक्त मौजूद रहते है।  
६ माह बाद अप्रैल और मई के मध्य मंदिर के  कपाट खोलकर भगवन केदारनाथ को एक राजा की तरह पहाड़ो के रास्ते पालकी से मंदिर में स्थापित किया जाता है.


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